Thursday, April 24, 2008

एक नया शिगूफा आया है


महंगाई और अपने घर के कलह के बीच भारतीय जनता पार्टी एक नया शिगूफा लेकर आई है। यह शिगूफा इस प्रकार है कि ठकाठक क्रिकेट में रूपसी चियर्स लीडर, इसे हम अपनी भाषा में कहें तो खिलाडियों में उत्साह पैदा करने के लिए कम कपडों में नाचने वाली नर्तकियां, भारतीय संस्कृति को खाई मे ले जा रही हैं। इसलिए ठकाठक क्रिकेट में इन रूपसी चियर्स लीडरों पर पाबंदी लगाई जानी चाहिए। चलिए यह तो रही भाजपा की बेदना और उनकी मांग। अब अपनी भडास आपको सौंपता हूं। यह मात्र इतना है कि आज के इस ग्लोबल माहौल में जब सारी दुनिया इंटरनेट के माध्यम से एक हो चुकी है और हमारे समाज में पाश्चात्य समाज इस कदर हावी हो गया है कि धोती कुरता पहने वाला भारतीय समाज से नदारद है तो हम किस संस्कृति को बचाने का ढोंग रच रहे हैं। अगली बात यह कि आप घर का दरवाजा बंद कर रात भर नीली पीली पिक्चरें तो देखें या नौटंकी में जमकर फूहडता निकालें लेकिन हजारों की भीड में चार लडकियां किसी टीम का हौसला बढाएं वह आपसे बरदाश्त नहीं हो रहा। हां यह बात सही है कि उन लडकियों के कपडे छोटे हैं। लेकिन आप यह तय कर लें कि मैच देखने जा रहे हैं या पाश्चात्य सभ्यता की नुमाइश। रही बात कम कपडे की तो आजकल फिल्मों में जितने कपडे हिरोइनें पहन रही हैं यह लडकिया उससे ज्यादा ही पहन रही हैं। अब कोई व्यक्ति ने दुकान खोला है तो वह अपना सामान तो बेचेगा ही। आखिर वह लोग स्टेडियम में उन लडकियों से जिस्मफरोशी तो नहीं करा रहे न। आप घर की बात तो सोच नहीं रहे और धर्म और संस्कृति का ठेका ले रहे हैं। लोगों को उन चियर्स लीडर्स पर पाबंदी से पहले अपनी गिरहबान में झांकना चाहिए। हमें पाश्चात्य समाज से खतरा नहीं हमे अपनों से खतरा है। यह बात अब समझनी होगी। क्योंकि जब तक हम नहीं चाहेंगे कोई समाज, सभ्यता या संस्कृति हम पर हावी नहीं हो सकती।
फोटो साभार : MSN
अबरार अहमद

Wednesday, April 23, 2008

ये मुहब्बत की इन्तहां नहीं तो

ये मुहब्बत की इन्तहां नहीं तो और क्या है।
समंदर आज भी प्यासा है किसी की चाहत में।।
शोरगुल में जिंदगी को ढुढते हो ये दोस्त तुम भी।
कभी गौर से देखना इसे खामोशी की आहट में।।
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जी तो करता है कि आज फिर से चूम लूं तेरी पेशानी को।
पर अफसोश आज मैं तुझसे से कहीं छोटा हूं।
वक्त ने छीन लिए सारे कांधे मुझसे।
इसलिए अब दीवारों से लग के रो लेता हूं।।
जी तो करता है कि आज फिर से चूम लूं तेरी पेशानी को।
पर अफसोश...................
अबरार अहमद

Friday, April 18, 2008

बिग बी भी उतरे मैदान में


सभी ब्लागर साथियों अमिताभ बच्चन ने भी ब्लाग की दुनिया में कदम रखा दिया है। इसे ब्लाग का करिश्मा ही कहेंगे। अमिताभ का मानना है कि ब्लाग की दुनिया में कदम रख कर वह अपने प्रशंसकों से जीवंत और मन की बातों को शेयर कर सकते है। निश्चय ही अमिताभ का यह कदम ब्लाग को एक नई दिशा देगा। हालांकि ब्लाग की लोकप्रियता लगतातर बढ रही है। अब वह दिन दूर नहीं जब ब्लाग भी जीवन का एक अहम हिस्सा हो जाएगा। खैर हम अमिताभ को उनकी इस नई पारी की शुभकामनाएं देते हैं और यही उम्मीद करते हैं कि फिल्मों की तरह वह यहां भी अपनी प्रतिभा का झंडा गाडेगें। साथ ही मधुशाला भी ब्लागरों को पीलाएंगे।

यह रहा अमित जी का ब्लाग

Thursday, April 17, 2008

उनकी यादों को चरागों की तरह

उनकी यादों को चरागों की तरह हर शाम जलाए रखा।
कुछ इस तरह से हमने उन्हें अपना बनाए रखा।।

कडकती धूप में मेरा पांव न जल जाए कहीं।
मेरे महबूब ने इसलिए मुझे घंटों बिठाए रखा।।

और यह तुफान तो अब आया है अपने उरोज पर।
उस समंदर से पूछो जिसने इसे बरसों दबाए रखा।।

कुछ न छुपाने कि कसम तुमने तो दी थी मुझको।
मगर एक बात थी जिसे हमने ताउम्र तुमसे छुपाए रखा।।

उनकी यादों को चरागों की तरह हर शाम जलाए रखा।
कुछ इस तरह से हमने उन्हें अपना बनाए रखा।।

Wednesday, April 16, 2008

पलकों में आंसूओं को



पलकों में आंसूओं को छुपाते चले गए।
हम इस तरह से इश्क निभाते चले गए।।

मैं कहते कहते थक गया कि मैं नशे में हूं।
लेकिन वो मुझको और पिलाते चले गए।।

हर जख्म नासूर बन चुका था मगर वो।
सितम दर सितम हम पर ढाते चले गए।।

चलने का तमीज मुझको आ जाए एक बार।
इसलिए नजरों से बार बार वो गिराते चले गए।।
अबरार अहमद

Thursday, April 10, 2008

अधूरे ख्वाब थे मेरे तेरे आने से पहले



अधूरे ख्वाब थे मेरे तेरे आने से पहले।

मचलते जज्बात थे मेरे तेरे आने से पहले।।

हरसू भटकता रहता था गलियों गलियों में।

आवारा नाम था मेरा तेरे आने से पहले।।

तूने जिंदगी जीना सीखा दिया मुझको।।

टूटता साज था मेरा तेरे आने से पहले।।

मुझे संभाल लेगा कोई अब इस बात की तसल्ली है।

कदम लडखडाते थे मेरे तेरे आने से पहले।।

तेरे आने से हो गया जर्रा जर्रा रौशन।

अंधेरे साथ थे मेरे तेरे आने से पहले।।

अधूरे ख्वाब थे मेरे तेरे आने से पहले।

मचलते जज्बात थे मेरे तेरे आने से पहले।।

Sunday, April 6, 2008

इस बदलते दौर में


इस बदलते दौर में इतना तो ख्याल रखा है।
हया के चादर में रिश्तों को संभाल रखा है।।

तलाशते तलाशते जिनको इक उम्र गुजर गई अपनी।
उस मंजिल को तमाम रास्तों ने संभाल रखा है।।

मुकददर को कोसने वालों सुन लो।
अपने हाथों में तुमने वो मलाल रखा है।।

इस सूरत में ढूढते हो हमारे सीरत की तस्वीर क्यूं।
वक्त ने दे के सबकुछ हमें अब भी फटेहाल रखा है।।

हो तो जरा मसजिद तक हो आउं मैं भी।
इक मुददत से इस दिल गुनाहों को पाल रखा है।।
अबरार अहमद

Wednesday, April 2, 2008

अमीषा मैडम को चाहिए जुर्माना


अदाकारा अमीषा पटेल ने कई निजी मोबाइल कंपनियों से दो करोड का हर्जाना मांगा है। यह हर्जाना इन कंपनियों की ओर से रिंगटोन बेचने के लिए अखबारों में दिए गए एड के साथ उनका फोटो छापने के एवज में मांगा गया है। साथ ही अमीषा ने धमकी दी है कि अगर उन्हें हर्जाना नहीं मिला तो वह अदालत जाएंगी। इस संबंध में इन मोबाइल कंपनियों को नोटिस भेज दिया गया है। खैर मैडम के पास अभी फिलहाल कोई काम तो है नहीं। इसलिए खरचा चलाने के लिए रुपये तो चाहिए ही। यह माया नगरी है भईया। लगे रहो। फोटो के पैसे भी वसूल लो।