बुरे वक्त में मुस्कुराने की बात करते हो।
नए दौर में गुजरे जमाने की बात करते हो।।
जबानदराजी का वक्त गुम हो गया कहीं।
क्यूं साहेब से फिजूल के सवाल करते हो।।
अपनी ही गलतियों की सजा भोग रहे हो तुम।
क्यूं पडोसी की किस्मत का मलाल करते हो।।
अब आडत डाल लो कत्ल होने की रोज रोज।
क्योंकि तुम भी किसी को रोज हलाल करते हो।।
बुरे वक्त में मुस्कुराने की बात करते हो।
नए दौर में गुजरे जमाने की बात करते हो।।
Wednesday, February 4, 2009
क्यूं साहेब से फिजूल के सवाल करते हो
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