कभी इश्क ने जुदा किया कभी इश्क ने मिला दिया।
कभी इश्क ने हंसा दिया कभी इश्क ने रुला दिया।
पलकों पर जब भी नींद ने रखने चाहे अपने कदम।
नजरों ने तेरी आ के मुझे आहिस्ते से जगा दिया।।
हर रास्ते पर अब तो मुझे मंजिल नजर आने लगी।
तूने हाथ क्या पकडा मेरा हर फासला मिटा दिया।।
जिंदगी कितने रंगों में अब मेरे सामने आने लगी।
बेरंग ख्वाबों में मेरे तूने रंग भरना सीखा दिया।।
कभी इश्क ने जुदा किया कभी इश्क ने मिला दिया।
कभी इश्क ने हंसा दिया कभी इश्क ने रुला दिया।
Sunday, October 12, 2008
कभी इश्क ने जुदा किया कभी इश्क ने मिला दिया
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12 comments:
बहुत सुंदर रचना।
कभी इश्क ने जुदा किया कभी इश्क ने मिला दिया।
कभी इश्क ने हंसा दिया कभी इश्क ने रुला दिया।
........ इश्क ने जालिम निकम्मा बना दिया,
बरना आदमी थे हम भी काम के...........
इसी लिये तो हम ने इस इश्क से पंगा ही नही लिया,
धन्यवाद एक सुन्दर गजल के लिये
कभी इश्क ने जुदा किया कभी इश्क ने मिला दिया।
कभी इश्क ने हंसा दिया कभी इश्क ने रुला दिया।
'very perfect and right words, liked it very much"
Regards
बहुत ख़ूब...अपने ब्लॉग में आपके ब्लॉग का लिंक दे रही हूं...
कभी इश्क ने जुदा किया, कभी इश्क ने मिला दिया.....बेहद उम्दा भाईजान
कभी इश्क ने जुदा किया कभी इश्क ने मिला दिया।
कभी इश्क ने हंसा दिया कभी इश्क ने रुला दिया।
welll said brother.
Very well dost....
bahut sahi... badhayi sveekaren..
hadse insan k sang maskhari karne lage,
lafz kagaj par utar jadoogari karne lage,
kamyabi jisne payi unke to ghar bas gaye,
jinke dil toote vo ashiQ shayri karne lage....
very well sir u r a good poet maan gaye.
ye bhut achha ser laga.
bahuti achha
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