Tuesday, February 26, 2008

ये वो शहर है जो

जी भर देख लो तो आंखों में उतर जाता है।
ये वो शहर है जो हर रोज उजड जाता है.

हर रोज बिकती हैं यहां कई जिंदा लाशें।
पर अफसोस हर कोई तमाशबीन बन देखता रह जाता है.

अपना खून गिरा तो खून दूसरे का गिरा तो पानी।
या खुदा क्या ऐसे ही इंसां का जमीर मर जाता है.

ख्वाब न देख ऐसे जो आंखों में न समाएं।
हकीकत का आइना हर रंग उडा देता है.

उस चांद को देखा है कभी पूरी अकीदत से।
किसी रोज वह भी एक चलनी में उतर जाता है.

2 comments:

mehek said...

हर रोज बिकती हैं यहां कई जिंदा लाशें।
पर अफसोस हर कोई तमाशबीन बन देखता रह जाता है.

bahut badhiya

admin said...

"जी भर देख लो तो आंखों में उतर जाता है।
ये वो शहर है जो हर रोज उजड जाता है."
बहुत सुन्दर पंक्तियां है, बधाई।