हंसती आंखों में भी गम पलते हैं पर कौन जाए इतनी गहराई में।
अश्कों से ही समंदर भर जाएंगे बैठो तो जरा तन्हाई में।।
अश्कों से ही समंदर भर जाएंगे बैठो तो जरा तन्हाई में।।
जिंदगी चार दिन की है इसे हंस कर जी लो।
क्या रखा है आखिर जमीन ओ जात की लडाई में।।
क्या रखा है आखिर जमीन ओ जात की लडाई में।।
तुमसे मिलने की चाहत हमे कहां कहां न ले गई।
वफा का हर रंग देख लिया हमने तेरी जुदाई में।।
वफा का हर रंग देख लिया हमने तेरी जुदाई में।।
जिस सुकून के लिए भटकता रहा दर दर अबरार।
या खुदा वो छुप कर बैठी रही कहीं तेरी खुदाई में।।
या खुदा वो छुप कर बैठी रही कहीं तेरी खुदाई में।।
3 comments:
bahut hi lajawab hai khas kar pehla sher altimate.
बेहतरीन, सही है पहली २ पंक्तियाँ लाजवाब है. आज पहली बार आपका ब्लॉग देखा, आगे भी पढ़ता रहूँगा.
अबरार जी आप के चारो शेर ही बहुत खुब हे,बहुत धन्यवाद.
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