वक्त के साथा कई नए एहसास मुझे छू रहे हैं। रूबरू करा रहे हैं मुझे एक अनोखे रोमांच से। पिता होने की जिम्मेदारियों के बीच एक नन्हा बच्चा मुझमें हिलोरें ले रहा है। और रोज नन्हे अयान से जी भर के खेलता भी है। अब अयान भी चहकने लगा है। अभी बोलता नहीं लेकिन उसकी हंसी वो सब कह जाती है, जो मैं उससे सुनना चाहता हूं। वो देखता है तो ऐसा लगता है पूरी दुनिया की खुशियां मुझे हसरत भरी निगाहों से देख रही हैं। इस एहसास को बयां करना भी मुश्किल है। खैर जी भर के जी रहा हूं मैं अयान के बचपन को। खुदा से यही दुआ है कि यह नन्हा फरिश्ता हमेशा यूं ही चहकता रहे। आमीन।
Wednesday, August 4, 2010
अब चहकने लगा है अयान
Saturday, February 27, 2010
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