Thursday, August 7, 2008

वो मिली तो जिंदगी हयात हुई

गुमसुम से हैं आप आज क्या बात हुई।
इस सुनहरी सुबह में क्यूं धुधली रात हुई।।

ऊपर वाले को भी तनहाई न रास आई तो।
जरा जरा करके हम इंसानों की कायनात हुई।।

इक मुददत तक तडपता रहा इंतजार में मैं।
रुह निकली तो उनसे मुलाकात हुई।।

जिंदगी नर्क थी जब तक न मिली थी उसे।
वो मिली तो जिंदगी हयात हुई।।

कतरा कतरा जीने में क्या रखा है।
ऐसे जीयो कि जिंदगी हर रोज बारात हुई।।

मांगते मांगते जुबान मे पड गए छाले।
अपना हक आज वो खैरात हुई।।

Monday, August 4, 2008

दर्द को हंसी के पैबंदों में छुपाते क्यूं हो

दर्द को हंसी के पैबंदों में छुपाते क्यूं हो।
रोने का सबब है यह मुस्कुराते क्यूं हो।।

ये वो हैं जिन्होंने न सुधरने की कसम खा रखी है।
इन लोगों को आखिर आईना दिखाते क्यूं हो।।

वही होगा जो मुकददर ने तय कर रखा है।
रह रह कर यही राग सुनाते क्यूं हो।।

तुमको शिकवा है कि सही राय नहीं देता मैं।
फिर हर बार मुझे अपने घर बुलाते क्यूं हो।।