अब अंधेरे देने लगे हैं सुकून मुझको।
न जाने कब दूर मुझसे यह रोशनी होगी।।
तमाम लोगों के लिए तमाम किरदार जीया।
क्या अपने लिए भी कोई जिंदगी होगी।।
या खुदा अब लोग कहने लगे मुझे काफिर।
अब इससे बढ कर क्या तेरी बंदगी होगी।।
अपने पसीने से सींचा है इस जमीं को हमने।
अब इस सहरा में भी पूरी नमी होगी।।
5 comments:
beautiful words awesome
बहुत खूबसूरत!
बहुत ख़ूब!
अपने पसीने से सींचा है इस जमीं को हमने।
अब इस सहरा में भी पूरी नमी होगी।।
वैसे सारे ही अशा'र काबिले तारीफ़ हैं
बहुत खूब। आपके ब्लॉग का फार्मेट बहुत ही प्यारा है और उसपर यह खूबसूरत सी गजल। मुबारकबाद तो बनती ही है।
और हाँ एक निवेदन, यदि आप बुरा न मानें तो- कृपया कमेंट बॉक्स से वर्ड वेरीफिकेशन हटा दें, इससे इरीटेशन होती है।
andheron main pate ho sukuno o krar
kaise dilber ho hamare pyare ABRAR
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