Tuesday, September 23, 2008

इस्लाम और इंसानियत खतरे में

मन अंदर ही अंदर मुझे कचोट रहा है। एक अरसे से। संभालने की कोशिश की एक आम आदमी की तरह। एक आम हिंदुस्तानी की तरह मगर रोक न सका खुद को। चाहे जयपुर धमाका हो या अहमदाबाद, यूपी के तमाम शहरों में बम फटे हों या दिल्ली को तबाह करने की नापाक कोशिश की गई हो हर बार दिल से एक आह जरूर निकली। एक पत्रकार होने के नाते भले ही रोया नहीं लेकिन इंसान होने के नाते आंखें नहीं मानीं। बेगुनाह लोगों को निशाना बनाने उनहें मारने और तबाही फैलाने का हक कोई भी धर्म किसी को नहीं देता। इस्लाम भी नहीं। इस बात को समझना होगा।
इंडियन मुजाहिददीन के नेटवर्क के खुलासे ने सबको चौंका दिया है। इस आतंकी फौज में जितने भी सदस्य शामिल हैं वह 16 से 30 साल के हैं। सब पढे लिखे और सभ्य परिवारों से हैं। इनके परिवार का कोई भी सदस्य अपराधी पृष्ठभूमि से नहीं। यह युवक भी पढे लिखे हैं और इनमें से कई उच्च शिक्षा हासिल कर रहे थे और सबसे अहम बात यह कि अब तक जीतने भी युवक पकडे गए हैं वह सभी मुसलमान हैं। और जो नाम सामने आ रहे हैं वह भी मुस्लिम ही हैं।
मैं खुद मुसलमान हूं और इस खुलासे से आहत हूं। मेरा मानना है कि अब वाकई में इस्लाम खतरे में है और इसे बचाने के लिए जेहाद की जरूरत है। वह कौन लोग हैं जो आपके बच्चों को बरगला कर आतंक की राह पर पहुंचा रहे है। क्या वजह है कि पढा लिखा मुसलमान इंसानियत का फर्ज भूलकर तबाही की राह पकड रहा है। वह कौन है जो इस्लाम को नेस्तानाबूद करने पर तूला है। जरूरत है तो अपने बच्चों को सही तालिम देने की। उन्हें समझाने की और इंसानियत का पाठ पढाने की ताकि हमारी अगली पीढी किसी नापाक हाथ की कठपुतली न बन सके। देश भर के मुसलमान भाईयों को अब जेहाद छेडनी होगी तभी इस्लाम को बचाया जा सकेगा तभी इंसानियत को बचाया जा सकेगा।
यह एक लंबी लडाई है। लेकिन इसकी शुरुआत आज से ही हो जानी चाहिए। अगर इस्लाम को बचाना है तो हमे अपनी अगली पीढी को सही राह दिखानी होगी। वह राह जो दिन की राह है। और यह जिम्मेदारी हमारे धर्म गुरुओं की है। जरूरत है कि वह आगे आएं और लोगों से इस बात कि अपील करें उन्हें सही राह दिखाएं।आतंकवाद के खिलाफ उलेमा आगे आए हैं लेकिन इस बात को एक सिस्टम के तहत लाना होगा। उन्हें धर्म का सही मकसद और इंसानियत का पाठ पढाने के लिए एक व्यवस्था बनानी होगी। आखिर यह इस्लाम के वजूद का मामला है। इंसानियत के वजूद का मामला है।

13 comments:

Asha Joglekar said...

Sahi farmaya aapne. padhe likhe mukhya dhara se jude bachchon ko kaun bargala raha hai. ye napak irade paise se takatwar wideshiyon ke hain par hum to apne aap ko samhal sakte hain. jaroorat hai aap jaise jagrook insano kee.

Udan Tashtari said...

बिल्कुल सहमत हूँ आपसे. अच्छा विचारणीय आलेख!!

दिनेशराय द्विवेदी said...

आप ने सही बात कही है। आतंकवाद से सब से बड़ा खतरा इस्लाम को ही है।

रंजन राजन said...

बेगुनाह लोगों को निशाना बनाने उनहें मारने और तबाही फैलाने का हक कोई भी धर्म किसी को नहीं देता। इस्लाम भी नहीं।
बहुत बिढ़या शब्दिचत्र। बधाई।
www.gustakhimaaph.blogspot.com

Gyan Darpan said...

अबरार जी आपने सही मुद्दा सही समय पर उठाया है आज जेहाद की जरुरत है आतंक के खिलाफ |

Hari Joshi said...

इस्‍लाम नहीं इंसानियत खतरे में हैं जो किसी भी धर्म से बड़ी है।

फ़िरदौस ख़ान said...

सही फ़रमाया आपने...हमें इस्लाम की बुनियादी तालीम से लोगों को वाकिफ़ करना होगा... खासकर उस लोगों को जो इस्लाम विरोधी हैं और आतंकवाद के नाम पर मुसलमानों को कोसने की सिवा कोई दूसरा काम नहीं करते...

अफ़लातून said...

आप के दर्द को महसूस कर रहा हूँ ।

कुश said...

bahut badhiya lekh.. bilkul sahi kaha aapne..

Unknown said...

बेहतरीन शब्दों में प्रस्तुति, आप जैसे युवा मु्सलमान ही जोर-शोर से आगे आकर सद्भाव की मुहिम चलायें तभी कुछ सम्भव है…

Ashok Pandey said...

आपकी बातों से पूर्ण सहमति है। समाज में ऐसे ही सकारात्‍मक सोच की जरूरत है।

अनिल भारद्वाज, लुधियाना said...

Manavtha ko bachana athi avashak hai.Pahele Manav Ka janam hua phir dharam ka.Hume bhavi pidi ko achee sanskar dene hoge jabhi Islam ho yaa hinduism surakshit rahe payega.Oh God forgive the sinners because they dont know what they are doing.
Hate the sin not the Siner.

राज भाटिय़ा said...

अबरार मियां इतने अच्छे लेखो से हमे मरहुम रखा मियां यह ठीक नही, मेने बांलोग लिस्ट मे आप का नाम डाला था कम्बख्त कुला ही नही चलो हम फ़िर से आ गये.
आप क लेख तो आंखे खोलने वाला है, काश हम सभी ऎसा सोचते.
आदाब