रावण तुम जिंदा रहो यूं ही। सालों साल,सदियों तक। ऐसे ही अपने दसों चेहरों के साथ। अगर तुम मर गए तो राम का क्या होगा। सच्चाई का क्या होगा। तुम ही तो वह एकमात्र साक्ष्य हो जो कहता है कि इस धरती पर कभी राम ने अवतार लिया था, इस धरती पर कभी धर्म का अधर्म से युद्ध हुआ था, सच के सामने बुराई का नाश हुआ था। अब राम सेतु को ही ले लो। आज तक उसके अस्तित्व पर सवाल उठाए जा रहे हैं कल हो सकता है राम के अस्तित्व पर सवाल खडा हो जाए तो जवाब कौन देगा। कौन लोगों को बताएगा कौन सरकार को बताएगा कि राम ने धरती पर अवतार लिया था। इसलिए हे रावण तुम्हारा जिंदा रहना जरूरी है। बेहद जरूरी। हे रावण तुम्हारा जिंदा रहना इसलिए भी जरूरी है कि तुम एक बडे शिक्षक हो इस समाज के लिए, हमारी नई पीढी के लिए अगर तुम्हारा अंत हो गया तो हमारे समाज को रास्ता कौन दिखाएगा हमारी भावी पीढी को सचाई और बुराई का फर्क कौन समझाएगा। आज हममें वो कुबत नहीं रही कि हम अपने बच्चों को सही राह दिखा सकें, आज हम खुद झूठ और बुराई का सहारा ले रहे हैं। इसलिए हे रावण तुम्हारा जिंदा रहना अति आवश्यक है।
Thursday, October 9, 2008
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13 comments:
अबरार भाई! जबरदस्त....
आज कल तो हर आदमी में रावण जिन्दा है. उसे अलग से जिन्दा रखने की क्या जरूरत है?
बहुत सटीक एवं जबरदस्त!
विजय दशमी पर्व की बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाऐं.
सुरेश चन्द्र गुप्ता जी
भले ही हर आदमी में रावण जिन्दा है लेकिन रावण में मात्र एक ही प्रकार के दुर्गंण थे जबकि आज के आदमी में 99 प्रकार के दुर्गुण है। रावण के समान यदि आज कोई होता तो कम से कम भारत का भला हो जाता । आज के आदमी में रावण का एक भी गुण आ जाए तो समझो कि उसमें मानवता है। रावण ने सीता से कभी जबरदस्ती नहीं की थी किन्तु आज का रावण जबरदस्ती करने पर उतारू है। इसका क्या उत्तर है आपके पास....
-.कृष्णशंकर सोनाने
बहुत सटीक
विजयादशमी की हार्दिक शुभकामनांयें
अबरार भाई सलाम . अरे बहुत ही सुन्दर ओर सटीक लेख लिखा आप ने, धन्यवाद, आप का लिंक मेरे यहां खुल नही रहा था, आज अचनक कूल गया, शायद मेने दोवारा आप का लिंक डाला है, धन्यवाद
रावण तो बहुत पहले मर चुका है। इसीलिए तो हम विजयादशमी का उत्सव मनाते हैं। लेकिन अफसोस की बात यह है कि रावण की आत्मा आज ज्यादातर लोगों में प्रवेश कर गई है।....
-वैसे कृष्णशंकर सोनाने की टिप्पणी भी गौर करने लायक है।
सलाम करते हैं आपकी कलम को।गज़ब लिखा है आपने। आपको दशहरे की बधाई।
विजय दशमी की हार्दिक शुभकामनाऐं.
लेकिन उस रावण में भी एक आदर्श खलनायक था अबरार जी.....अब के रावण में वो नही.....एक विचारणीय लेख के लिए आभार
bahut khoob likha hai...
kucch khaas nahi likha hai...e meri raai hai..aap chaahey to delete bhii kar sakatey hai...
magar mujhey lagata hai aapney kucchh naya nahi kaha ye sab baatein sarva-vidit hai..
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