Tuesday, June 28, 2011

आज फिर वही काम तेरे बाद किया


आज फिर खोल दिया उसका लिफाफा मैंने।
आज फिर अपने लडकपन पे नाज किया।।

आज फिर टकरा गया चलते चलते खंभे से।
आज फिर लगा कि किसी ने याद किया।।

तेरे टोकने का अंदाज गुम न हो जाए जेहन से।
आज फिर वही काम तेरे बाद किया।।

1 comment:

राज भाटिय़ा said...

आज फिर टकरा गया चलते चलते खंभे से।
आज फिर लगा कि किसी ने याद किया।।
वाह वाह मिया, बहुत सुंदर गजल