आज सब इक ख्याल आया।
जवाब ढूढा मगर सवाल आया।।
क्यूं नहीं पूछ लिया उससे दिल की बात।
रह रह कर यही मलाल आया।।
जिसको नकारा समझती रही दुनिया।
जिंदगी के इम्तिहान में वह कमाल आया।।
अलहदा वो सबसे इसलिए है कि।
जहीन सबसे उसका जमाल आया।।
मुफ्त में खाने की पड गई आदत जिसको।
क्या फर्क पडता है क्या हराम आया क्या हलाल आया।।
आज सब इक ख्याल आया।
जवाब ढूढा मगर सवाल आया।।
अबरार अहमद
Friday, May 23, 2008
आज सब इक ख्याल आया
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5 comments:
मुफ्त में खाने की पड गई आदत जिसको।
क्या फर्क पडता है क्या हराम आया क्या हलाल आया।।
--बहुत खूब.
अलहदा वो सबसे इसलिए है कि।
जहीन सबसे उसका जमाल आया।।
सही है. बहुत ख़ूब.
behad khubsurat
अच्छा लगा आपको पढ़ कर !
behatareen rachna...
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