वो जहर है मगर दवा का असर रखता है।
आंखों से अंधा है मगर पारखी नजर रखता है।।
उसके हुनर को कहीं जंग न लग जाए इसलिए।
वह अपने हाथों में एक पोशीदा कसर रखता है।।
उसको नजरबंद करने की बात भी सोच ली कैसे।
वो हवा है हर जगह अपनी रहगुजर रखता है।।
और एक दिन सिमट जाना है सबको दो गज जमीन में।
पड जाए आदत इसलिए वह इतनी ही बसर रखता है।।
वो जहर है मगर दवा का असर रखता है।
आंखों से अंधा है मगर पारखी नजर रखता है।।
अबरार अहमद
Saturday, May 3, 2008
वो जहर है मगर....
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2 comments:
hawa hai apni rahe gujar rakhta hai,wah wah bahut khubsurat gazal
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Regards
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