Tuesday, July 8, 2008

मुलायम जी क्या होगा इस सरकार का

क्या केंद्र की यूपीए सरकार गई। यह सवाल आज हर हिंदुस्तानी की जुबान पर है। एक लंबे मंथन के बाद आखिरकार वामपंथियों ने सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया। हालांकि समाजवाद के झंडाबरदार मुलायम सिंह यादव ने सरकार को समर्थन देने का फैसला किया है लेकिन क्या सरकार बरकरार रहेगी यह तो सदन में शक्ति परीक्षण के बाद ही तय होगा। अगर सरकार जाती है तो अमेरिका से हुए आणविक समझौते पर आंच जरूर आ जाएगी।
लोकसभा चुनाव अब बहुत दूर नहीं। यह बात वामपंथी अच्छी तरह जानते हैं। अब लोकसभा चुनाव वह सरकार के साथ मिलकर तो लड नहीं सकते। इसलिए सरकार का कार्यकाल पूरा होने तक साथ रहने का सवाल ही पैदा नहीं होता था। अब कार्यकाल से पहले सरकार का साथ छोडना है तो उसका कारण भी चाहिए। आणविक समझौते से बढिया विकल्प उन्हें मिल भी नहीं सकता था। अब एक अरसे तक बातचीत, चेतावनी और मान मनौवल के बाद उन्हें एक रास्ता तो चुनना ही था सो चुन लिया।
अब बात जरा मुलायम है। सरकार बनी तो यूपीए ने अमर सिंह और मुलायम को पूछा भी नहीं। हालांकि अमर सिंह बिन बुलाए मेहमान की तरह सरकार को समर्थन देने सोनिया गांधी के यहां पहुंचे भी थे। खैर सरकार भी बन गई और वामपंथियों के सहयोग से चलने भी लगी। इस दौरान कई बार समाजवादी पार्टी ने कांग्रेस पर कई तीखे वार किए। इस दौरान कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी को भी अमर सिंह ने नसीहत दे डाली और सोनिया पर भी बरसे। अब ऐसा क्या हो गया कि कांग्रेस समाजवादी पार्टी की हितैसी नजर आने लगी है। और तो और आणविक करार भी देशहित में नजर आने लगा है। कहीं यह उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती के कोप से बचने का उपाय तो नहीं। कहीं यह अगला लोकसभा चुनाव कांग्रेस और यूपीए घटक के साथ मिलकर लडने का पहला कदम तो नहीं।

4 comments:

राज भाटिय़ा said...

अबरार मियां यह सब......., बारी बारी से हमे लुटने के लिये आते हे, यानि सब गोल माल हे

सुकांत महापात्र said...

sahi kaha bhai. likhte rahiye

अनिल भारद्वाज, लुधियाना said...

वामपंथी सरकार से आज नहीं तो कल समर्थन वापस लेते ही। यह सत्य है वह कांग्रेस के साथ मिलकर लोकसभा चुनाव लड ही नहीं सकते। इसलिए सरकार का कार्यकाल पूरा होने तक वह समर्थन नहीं दे सकते थे। करार तो वह रस्सी थी जिससे वह सरकार को फांसी चढाते।

दिवाकर प्रताप सिंह said...

डील देश के हित में है। इससे हमारी यूरेनियम की जरूरत पूरी होगी। हम सिविलियन पावर रिएक्टर में इंपोर्टेड यूरेनियम का इस्तेमाल कर सकते हैं और घरेलू यूरेनियम फ्यूल को वेपन ग्रेड प्लूटोनियम प्रॉडक्शन के लिए बचा कर रख सकते हैं। पूर्व राष्ट्रपति और प्रख्यात वैज्ञानिक डॉ ए. पी. जे. अब्दुल कलाम कह चुके हैं कि यह डील हमें आगे बढ़ने में मदद करेगी।