गुमसुम से हैं आप आज क्या बात हुई।
इस सुनहरी सुबह में क्यूं धुधली रात हुई।।
ऊपर वाले को भी तनहाई न रास आई तो।
जरा जरा करके हम इंसानों की कायनात हुई।।
इक मुददत तक तडपता रहा इंतजार में मैं।
रुह निकली तो उनसे मुलाकात हुई।।
जिंदगी नर्क थी जब तक न मिली थी उसे।
वो मिली तो जिंदगी हयात हुई।।
कतरा कतरा जीने में क्या रखा है।
ऐसे जीयो कि जिंदगी हर रोज बारात हुई।।
मांगते मांगते जुबान मे पड गए छाले।
अपना हक आज वो खैरात हुई।।
Thursday, August 7, 2008
वो मिली तो जिंदगी हयात हुई
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10 comments:
वाह! बहुत उम्दा,बधाई.
इक मुददत तक तडपता रहा इंतजार में मैं।
रुह निकली तो उनसे मुलाकात हुई।।
क्या बात हे, बहुत ही सुन्दर,धन्यवाद
जिंदगी नर्क थी जब तक न मिली थी उसे।
वो मिली तो जिंदगी हयात हुई।।
"wonderful, beautiful sher" liked reading it.
Regards
बेहतरीन....
बहुत ही उम्दा... रचना.
गजल की आपकी कैसे तारीफ़ करूँ
लगता है जैसे जज्बातों की बरसात हुई.
Very good......
sundar abhivyakti....
भाई, आप बहुत ही लगन से सार्थकता के शिखर पर हैं.सफलता तो कई हैं पर सार्थक एकाध ही नज़र आते हैं.कई बार सोचा इधर आऊं लेकिन शहर दिल्ली कि व्यस्त फिर ब्लॉग का नया-नया-चस्का आज आखिर पहुच ही गया.
अफ़सोस हुआ, हाय हँसा हम न हुए की तर्ज़ पर कि हाय पहले क्यों न आया.
कई पोस्ट देखी.तेवर वही पर अंदाज़ और कंटेंट में जुदागाना असर.
हमारा भी ठिकाना है, जहां और भी भूले-भटके आ जाते हैं.गर आप आयें तो ख़ुशी ही होगी .
लिंक है
http://hamzabaan.blogspot.com/
http://shahroz-ka-rachna-sansaar.blogspot.com/
http://saajha-sarokaar.blogspot.com/
गुमसुम से हैं आप आज क्या बात हुई।
उम्दा, धन्यवाद
इक मुददत तक तडपता रहा इंतजार में मैं।
रुह निकली तो उनसे मुलाकात हुई।।
waah...amazing...behtarin...bas kya kahun
इक मुददत तक तडपता रहा इंतजार में मैं।
रुह निकली तो उनसे मुलाकात हुई।।
जिंदगी नर्क थी जब तक न मिली थी उसे।
वो मिली तो जिंदगी हयात हुई।।
कमल कर दिया साहब आपने....बहुत अच्छी रचना है !!!!!!!!!!!!!!!!
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