जी भर देख लो तो आंखों में उतर जाता है।
ये वो शहर है जो हर रोज उजड जाता है।।
हर रोज बिकती हैं यहां कई जिंदा लाशें।
पर अफसोस हर कोई तमाशबीन बन देखता रह जाता है।।
अपना खून गिरा तो खून दूसरे का गिरा तो पानी।
या खुदा क्या ऐसे ही इंसां का जमीर मर जाता है।।
ख्वाब न देख ऐसे जो आंखों में न समाएं।
हकीकत का आइना हर रंग उडा देता है।।
उस चांद को देखा है कभी पूरी अकीदत से।
किसी रोज वह भी एक चलनी में उतर जाता है।।
Thursday, June 5, 2008
जी भर देख लो तो
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5 comments:
bilkul sahi dastan bayan ki hai,bahut hi achhi gazal lagi,bahut badhai
जी भर देख लो तो आंखों में उतर जाता है।
ये वो शहर है जो हर रोज उजड जाता है।।
यह शेर जबरदस्त लगा. बधाई.
pahla sher waqai bahut accha hai
बेहतरीन शेरों का गजब गुलदस्ता.
खूब लिखा आपने.
बहुत बहुत बधाई.
देखने का फन पहले कहां था आंखों में
वक्त आया तो समंदर भी उतर आता है।
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