बात पते की है इसलिए बतानी थी।
अब तो आदत सी हो गई है मुस्कुराने की।।
उन्होंने कह रखा है कि मुंह नहीं खोलना।
इसलिए अपनी आदत है गुनगुनाने की।।
रूठने वालों का दर्द हमको मालूम है।
इसलिए कोशिश करते हैं सबको मनाने की।।
अपने दरवाजे पर खडा रहता हूं जोकर बन कर।
जरा सी चाहत है मुसाफिरों को हंसाने की।।
हमसफर दोस्तों इस बात का ख्याल रखना।
तुम्हारे एक साथी की आदत है डगमगाने की।।
किसी से वादा बडा सोच समझ कर करते हैं।
क्या करें दिमाग में एक कीडा है जो सलाह देता है इसे निभाने की।।
बात पते की है इसलिए बतानी थी।
अब तो आदत सी हो गई है मुस्कुराने की।।
Saturday, June 7, 2008
अब तो आदत सी हो गई है मुस्कुराने की
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8 comments:
हमसफर दोस्तों इस बात का ख्याल रखना।
तुम्हारे एक साथी की आदत है डगमगाने की।।
bahut khoob sir....
उन्होंने कह रखा है कि मुंह नहीं खोलना।
इसलिए अपनी आदत है गुनगुनाने की।।
wah bahut hi khubsurat
बढ़िया है.
रूठने वालों का दर्द हमको मालूम है।
इसलिए कोशिश करते हैं सबको मनाने की।।
बहुत खूब जी
अपने दरवाजे पर खडा रहता हूं जोकर बन कर।
जरा सी चाहत है मुसाफिरों को हंसाने की।।
bahut badhiya...
"रूठने वालों का दर्द हमको मालूम है
इसलिए कोशिश करते हैं सबको मनाने की"
बहुत खूब.
मेरे दिल कि बात.
आभार.
सभी गहरे और बेहतरीन शेर हैं..
***राजीव रंजन प्रसाद
bahut khoob .....kamaal ka likha hai aapne...saral shabdhon mein ....sab kathin likh dala
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